Rajani katare

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बंधन जन्मों का भाग -- 15




                 "बंधन जन्मों का" भाग-15

पिछला भाग:--
विमला ने तो यह सोचा ही नहीं था, ऐसा कभी 
देखा सुना भी नहीं....सो एकदम से सकपका 
गयी क्या बोलें.....
अब आगे:--
क्या जबाव दें... जाने दें कि न जाने दें अकेले,
फ़ालतू में बदनामी न होय... भई पहले बात तो
पक्की हो जाए फिर जाओ.....
बहिन का चेहरा देखकर बच्चू समझ गया.....
उसने विमला को अंदर बुलाया... देख पहले की
बात कुछ ओर थी... अब कुछ ओर है.....

अब तो शादी पक्की होने से पहले बाहर घूम फिर कर.... बातें करके एक दूसरे को समझने की कोशिश करते हैं.... और ये तो अच्छी ही बात है,
जाने दो दोनों को.... जाकर हांँ कह दो.....
फिर विमला बैठक में आकर उन लोगों को जाने की इजाज़त दे देती है.....

दोनों घूम फिर कर वापस आ जाते हैं.... फिर आपस बातें होती रहतीं हैं.... विमला और सहेली
शीला दोनों खाना बनाने में लग जातीं हैं....
यहां यहाँ वहाँ की बातें होती रहती हैं.....
उन लोग खाना खाकर चले जाते हैं....हाँ खाने की बहुत तारीफ करी पर न तो हाँ करके गये और न
ही मना करा.... कुछ समझ नहीं आया.....
अच्छा आर्यन भी कुछ न बोला......
रीता से पूछा!! रीता बोली हमसे तो ऐसा कुछ
नहीं कहा......

दूसरे दिन विमला स्कूल पहुँची तब भी शीला ने
कोई हिंट नहीं करा..... विमला ने सोचा भई
कुछ तो बोलना चाहिए......
कोई बात नहीं मैं ही पूंछ लूंगी......
विमला ने सीधे सीधे ही पूछ लिया......
कुछ बताया नहीं तुम लोगों ने.... क्या बेटी 
पसंदनहीं आई आर्यन को......
नहीं ऐसी बात नहीं है आर्यन थोड़ा वक्त मांग 
रहा है.... क्या है अभी अभी तो नोकरी लगी है
उसकी और दादी जोर दे रहीं हैं.....
उनको लगी है पोते की शादी देख लूं.....
क्रमशः--

    कहानीकार-रजनी कटारे
          जबलपुर ( म.प्र.)

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1 Comments

Punam verma

21-Jan-2022 09:02 PM

Nice mam

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